यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान बना समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन दोबारा दोहराया जा सकता है. हाल में कर्नाटक विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में गठबंधन की सफलता से कांग्रेस पार्टी बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में क्षेत्रीय दलों से हाथ मिला सकती है. इसमें समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का नाम सामने आ रहा है. अगर सब कुछ सही रहा, तो मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा के साथ कांग्रेस का गठबंधन देखने को मिल सकता है.
मध्य प्रदेश चुनाव से पहले प्री-पोल अलायंस या विपक्ष का 'महागठबंधन' कैराना उपचुनाव की तरह हो सकता है. ऐसी प्रबल संभावना है कि कांग्रेस मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी का सामना करने के लिए बसपा और सपा से 'दोस्ती' कर सकती है.
दरअसल, गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव में बसपा-सपा की 'दोस्ती' की सफलता के बाद बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के महागठबंधन का विचार जोर पकड़ा है. सपा-बसपा की 'दोस्ती' की सफलता कैराना में भी दोहराई गई. इस बीच कर्नाटक चुनाव में जिस तरह से खंडित जनादेश आया, उससे विपक्ष ने महसूस किया कि बीजेपी से लड़ने के लिए एक मजबूत महागठबंधन की जरूरत है.
कर्नाटक में बीजेपी से लड़ने के लिए कांग्रेस ने जेडीएस को बिना शर्त समर्थन देने से भी ऐतराज नहीं किया. इससे यह साफ होता है कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस अब क्षेत्रीय पार्टियों के साथ जाने में नहीं हिचकेगी. यही वजह है कि कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह के बहाने बीजेपी के खिलाफ मजबूत और एकजुट विपक्ष नज़र आया.
सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर कांग्रेस अब प्री-पोल अलायंस पर फोकस कर रही है. कांग्रेस पहले मायावती की बहुजन समाज पार्टी के साथ हाथ मिला सकती है. राज्य में बसपा का 8 फीसदी वोट शेयर है. मध्य प्रदेश विधानसभा में बसपा के 4 विधायक भी हैं.
अगर राजनीतिक स्तर पर देखें, तो मध्य प्रदेश चुनाव के मद्देनज़र बसपा-कांग्रेस के गठबंधन की प्रबल संभावना है. सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन को लेकर कांग्रेस के टॉप नेताओं और बसपा सुप्रीमो मायावती के बीच बातचीत भी चल रही है.
बता दें कि 26 मई को मायावती ने कहा था, "आगामी विधानसभा चुनावों और दूसरे चुनावों के मद्देनज़र बसपा के साथ अन्य दलों के गठबंधन के रास्ते खुले हैं." 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में मायावती का ये बयान काफी अहम है.
25 मई को बेंगलुरु में कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में मायावती जिस गर्मजोशी से यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी से मिलीं, उससे बीजेपी को एक राजनीतिक संदेश भी दिया गया.
बसपा से 'दोस्ती' करने के लिए ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के टॉप नेता लगातार बात कर रहे हैं. वहीं, सपा से भी गठबंधन की बात चल रही है. सूत्रों के मुताबिक, मध्य प्रदेश में कांग्रेस सपा-बसपा के लिए 50 सीटे छोड़ सकती है, बाकी 180 सीटों पर खुद चुनाव लड़ेगी.
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, बसपा-सपा बुंदेलखंड और चंबल क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है. वहीं, कांग्रेस विंध्य पर फोकस करेगी. हालांकि, सूत्रों का यह भी कहना है कि बसपा और सपा मध्य प्रदेश में ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है, ताकि अपनी पार्टी का दायरा बढ़ा सके.
बता दें कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में साल के आखिर तक चुनाव होंगे. ऐसे में विपक्ष दल बीजेपी के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटे हैं. देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का महागठबंधन इन तीनों राज्यों में भी कामयाब होता है या नहीं.
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