लखनऊ I यूपी के लखनऊ में बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का 14वें दिन भी निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन जारी रहा. 30 मार्च से शुरू हुए ज्ञापन दो अभियान के अन्तर्गत आज बिजली कर्मचारियों ने बरेली में केन्द्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार को, मथुरा में ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा को और प्रदेश भर में अनेक सांसदों और विधायकों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दिया.

कई सांसदों और विधायकों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बिजली वितरण के निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग की है. इसके अलावा संघर्ष समिति की बैठक में निर्णय लिया गया कि निजीकरण के विरोध में 8 अप्रैल को राजधानी लखनऊ सहित सभी परियोजना और जिला मुख्यालयों पर मशाल जुलूस निकाले जायेंगे. इसके साथ ही प्रतिदिन विरोध सभाओं का कार्यक्रम जारी रहेगा.

निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मचारियों का नियमानुसार कार्य आन्दोलन चल रहा है जिसके अन्तर्गत बिजली कर्मचारी अवकाश के दिनों में कोई कार्य नहीं कर रहे हैं.

बिजली कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पावर कारपोरेशन के चेयरमैन के जरिए यूपी में लाइन हानियां पर जारी किये गये बयान और आकड़ों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. संघर्ष समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि प्रदेश में 40 प्रतिशत से अधिक लाइन हानियां जिन स्थानों पर है उसके लिए स्थानीय राजनीतिक दबाव और केवल शीर्ष स्तर का प्रबन्धन जिम्मेदार है.

समिति ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन द्वारा जारी की गयी 10 प्रतिशत से कम लाइन हानियां की सूची में विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, सिलचर, रायपुर, बडोदरा, भुज, कुल्लू, शिमला, नासिक, पुणे, सतारा, लुधियाना, पटियाला और अगरतला का उल्लेख किया गया है. ध्यान देने योग्य बात है कि यह सभी वह स्थान है जहां सरकारी क्षेत्र की बिजली कम्पनियां काम कर रही हैं.
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