गोरखपुर और फूलपुर की हार और हार की राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में समीक्षा ने बीजेपी के लिए कैराना लोकसभा उपचुनावों को लेकर मुश्किलें बढ़ा रखी हैं. बीजेपी ने हर हाल में उपचुनावों के इस मिथक को तोड़ने के लिए ख़ास रणनीतिकारों को जिम्मेदारी सौंपी है. देश भर में लोकसभा उपचुनावों में हाल में हुई हार के सिलसिले ने बीजेपी की बड़ी- बड़ी जीतों के आंकड़ों के बावजूद सियासी माहौल को प्रभावित किया है.
यूपी की फूलपुर और गोरखपुर की सिटिंग सीटों और बिहार के अररिया में हुई हार ने बीजेपी के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े के विजयी सिलसिले को रोका है. लिहाजा हार भुलाकर जीत के सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए बीजेपी प्रदेश नेतृत्व ने ख़ास सिपहसालारों को जिम्मेदारी सौंपी है.
जानकारी के अनुसार, 6 मंत्रियों धर्म सिंह सैनी, सुरेश राणा, एसपी सिंह बघेल, लक्ष्मी नारायण, अतुल गर्ग, बलबीर ओलख और 19 विधायकों को अलग-अलग क्षेत्रो में लगाया गया है. यही नहीं कैराना लोकसभा उपचुनाव के लिए 5 दिग्गज नेताओं को प्रभारी बनाया गया है. जिनमें विजय बहादुर पाठक, एमएलसी व पश्चिम क्षेत्र के प्रभारी महासचिव, देवेंद्र सिंह प्रदेश मंत्री, संजीव बालयान सांसद, धर्म सिंह सैनी मंत्री, सुरेश राणा मंत्री शामिल हैं. साथ ही 4 सांसदों राघव लखनपाल, संजीव बालियान, विजय पाल तोमर और कांता कर्दम की ड्यूटी भी इन चुनावों को लेकर लगाई गई है. संगठन महामंत्री सुनील बंसल गाजियाबाद क्षेत्रीय कार्यालय, शामली कैराना लोकसभा और बिजनौर नूरपुर में लगातार बैठक कर रहे हैं.
इधर बीजेपी की तैयारियों को लेकर विपक्षी समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन का कहना है कि
चाहे जितनी तैयारी कर लें. वोट जनता को देना है, जो बीजेपी की दोनों सरकारों से नाराज़ है.
वहीं पश्चिम के चुनावों में दमखम दिखाने की तैयारी कर रही आरएलडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे कहते हैं कि बीजेपी जानबूझ कर माहौल बिगाड़ने की तैयारी कर रही है.
राजनीति में समीकरण और समीकरणों को लागू करने के लिए रणनीति की जरूरत होती है. उत्तर प्रदेश में उपचुनाव महज एक लोकसभा और एक विधानसभा सीटों के है लेकिन इसके परिणामों के राजनैतिक निहितार्थ आने वाले वक्त की सियासत को प्रभावित करने वाला होगा.
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