इस बार भीषण गर्मी में पश्चिम उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट पर उपचुनाव होना है. ये सीट उत्तर प्रदेश और देश की सियासत में अलग पहचान रखती है. ​इस उपचुनाव की जीत के मायने 2019 लोकसभा चुनाव से जोड़कर देखे जाएंगे, लिहाजा कोई भी पार्टी यहां कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहती. इस बीच इस सीट पर कई सियासी घराने भी हैं, जिनके वंशज मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. कैराना की सियासत में तीन प्रमुख घराने सत्ता का केंद्र माने जाते हैं. इनमें हुकुम सिंह, जिनके देहांत के कारण कैराना लोकसभा सीट खाली हुई है. इनके अलावा स्वर्गीय मुनव्वर हसन और सहारनपुर के काजी रशीद मसूद का परिवार प्रमुख है.

बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के देहांत के बाद खाली हुई कैराना लोकसभा सीट पर बीजेपी की तरफ से टिकट दावेदारों उनके बेटी मृगांका सिंह दावेदारी कर रही हैं. दूसरी तरफ उन्हें चुनौती देने के लिए इमरान मसूद भी चुनाव मैदान में कूदने की तैयारी कर रहे हैं. इमरान पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद के भतीजे हैं और पूर्व विधायक भी हैं. वहीं कैराना से सपा विधायक नाहिद हसन की मां तबस्सुम हसन सपा से टिकट की तगड़ी दावेदार हैं. वहीं यूपी विधानसभा चुनाव में मृगांका के लिए राहें मुश्किल करने वाले हुकुम सिंह के पोते अनिल चौहान भी दो-दो हाथ की तैयारी में हैं. कुल मिलाकर ये चुनाव सियासी घरानों में तगड़ी जंग साबित होने जा रहा है.

जब मृगांका सिंह को 'अपनों' से ही मिली थी हार 
यूपी विधानसभा चुनाव में मृगांका सिंह ने भाग्य आजमाया लेकिन परिवार के अन्य सदस्य हुकुम सिंह के पोते अनिल चौहान ने उन्हें जीत से दूर कर दिया. अनिल चौहान विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर मैदान में उतरे थे. अब माना जा रहा है कि अनिल एक बार​ फिर मैदान में उतरने की तैयारी में हैं, लिहाजा मृगांका के लिए मुश्किलें आसान होती नहीं दिख रही हैं.


बसपा से नजदीकी का लाभ लेने की कोशिश में सपा
वहीं इस सीट पर सपा भी कमजोर नहीं आंकी जाती. चुनाव में बसपा ने हालांकि दूर रहने की बात कही है लेकिन गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के बाद यूपी में सपा बसपा के नजदीक आने और नए जातीय समीकरण में सपा इस सीट पर तगड़ी टक्कर देने की स्थिति में है. इस सीट पर स्वर्गीय मुनव्वर हसन की भी अपनी साख रही है. यही कारण है कि 2009 में उनकी पत्नी तबस्सुम हसन ने यहां से जीत हासिल की थी. अब एक बार फिर तबस्सुम सपा से टिकट हासिल करने की जुगत में हैं. उनके बेटे नाहिद हसन इस समय कैराना से सपा विधाायक हैं.

कांग्रेस और रालोद की 'नजदीकी' पर सबकी नजर
वहीं इसी सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद के भतीजे इमरान मसूद भी दावेदारी की तैयारी कर रहे हैं. इमरान पूर्व में विधायक रह चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में इमरान ने कांग्रेस के टिकट पर सहारनपुर से चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें जीत नहीं हासिल हो सकी थी. पार्टियों की बात करें तो बीजेपी जहां अपनी सीट बचाने के लिए गुर्जर, जाट, ठाकुर, जाट मुस्लिम, सैनी और कश्यप बिरादरी पर नजर गड़ाए है. वहीं सपा यहां मुस्लिम, दलित और पिछड़ों के साथ रणनीति बना रही है. इस क्षेत्र राष्ट्रीय लोकदल की भी जमीन मानी जाती है, लिहाजा कांग्रेस और रालोद के बीच गठबंधन मुकाबला त्रिकोणीय बना सकता है.
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