यूपी में बाबा साहेब आंबेडकर के नाम को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. गवर्नर राम नाईक के सुझाव पर सरकार ने आंबेडकर के नाम में ‘रामजी’ जोड़ दिया है. यानि अब उनका नाम डॉ. भीमराव 'रामजी' आंबेडकर लिखा जाएगा. लेकिन सरकार द्वारा जारी शासनादेश ने विपक्षियों को सरकार पर हमलावर होने का मौका दे दिया है क्योंकि नाम में रामजी जोड़े जाने को धार्मिक एंगल भी दिया जा रहा है.
क्या बीजेपी अंबेडकर के नाम पर हिन्दुत्व का कार्ड खेलना चाहती है. आज ये सवाल यूपी की सियासत में विपक्षी जोर-शोर से उठा रहें हैं. असल में ये मामला इसलिए उठ खड़ा हुआ है क्योंकि यूपी सरकार ने एक शासनादेश जारी कर ये कहा है कि यूपी के सभी सरकारी संस्थानों में आंबेडकर की तस्वीर लगाई जाए. साथ ही तस्वीर के नीचे उनका पूरा नाम बाबा साहब भीमराव रामजी अंबेडकर लिखा जाए. सपा, बसपा, कांग्रेस इसी बात का इश्यू बना रहे हैं.
उनका कहना है कि बीजेपी अब आंबेडकर के बहाने यूपी में हिन्दुत्व का एजेंडा चलाना चाहती है. सपा एमएलसी सुनील साजन ने कहा कि बीजेपी अपने आप को भगवान राम और हिंदू धर्म का ठेकेदार समझती है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी बाबा साहेब के नाम से छेड़छाड़ कर रही है और इसीलिए वो नाम बदलने की सियासत कर रही है. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत कहते हैं कि बाबा साहब ने कभी अपने जीवनकाल में अपने पूरे नाम नहीं लिया. वह हमेशा भीमराव अंबेडकर के नाम से ही पुकारे जाते रहे हैं. भाजपाई बेकार के मु्द्दों में लोगों को उलझाए रखना चाहतें हैं ताकि उनकी सरकार से काम पर जवाबदेही कम हो.
वहीं भाजपा इसमें कुछ गलत नहीं मानती. भाजपा महामंत्री विजय बहादुर पाठक कहते हैं कि उनके सही नाम लिए जाने पर विपक्षियों को इतनी परेशानी क्यों हो रही है? हालांकि आंबेडकर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ लालजी प्रसाद निर्मल कहते हैं कि अच्छा है कि बाबा साहब का पूरा नाम लोगों के पता चले. इसमें कोई बुरी बात नहीं है.
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