उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र में निजीकरण के विरोध में कर्मचारियों का आन्दोलन जारी है. इस बीच सरकार इस आन्दोलन को खत्म करने के प्रयास में जुट गई है. इसी क्रम में गुरुवार को विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों और प्रमुख सचिव (ऊर्जा) आलोक कुमार के बीच शक्ति भवन में वार्ता हुई. लेकिन इस वार्ता में कोई नतीजा नहीं निकल सका. लिहाजा वार्ता के बाद संघर्ष समिति ने प्रबन्धन को स्पष्ट कर दिया कि बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं का आन्दोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लेती.
प्रमुख सचिव (ऊर्जा) एवं पावर कारपोरेशन के चेयरमैन आलोक कुमार के बुलावे पर गुरुवार शाम शक्ति भवन में संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों एवं प्रबन्धन के बीच विस्तृत वार्ता हुई. वार्ता के दौरान संघर्ष समिति ने कहा कि विद्युत वितरण के निजीकरण एवं फ्रेन्चाईजी का प्रयोग पूरे देश में विफल हो चुका है. उदाहरण देते हुए संघर्ष समिति ने कहा कि उड़ीसा में निजी कम्पनियों की अक्षमता के चलते उनके लाईसेन्स नियामक आयोग रद्द कर चुका है.
इसी प्रकार औरंगाबाद, जलगांव, भागलपुर, उज्जैन, ग्वालियर और सागर के अर्बन डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेन्चाईजी के करार फ्रेन्चाईजी की विफलता के कारण नियामक आयोग रद्द कर चुका है. समिति ने कहा कि आगरा में भी बड़ा घोटाला चल रहा है, जिसकी उच्चस्तरीय जांच होना जरूरी है. ऐसे में आगरा फ्रेन्चाईजी का हवाला देकर 5 अन्य शहरों व सात जनपदों का निजीकरण करना और बड़े घोटाले को जन्म देगा.
संघर्ष समिति ने कहा कि प्रदेश की बिजली व्यवस्था में कारगर सुधार हेतु संघर्ष समिति गुजरात माॅडल और पटियाला माॅडल के आधार पर सुधार के प्रस्ताव काफी पहले दे चुकी है. यूपी सरकार को 7 जनपदों व 5 शहरों के निजीकरण के फैसले को वापस लेना चाहिए.
वार्ता में प्रबन्धन की ओर से प्रमुख सचिव (ऊर्जा) के साथ प्रबन्ध निदेशक अपर्णा यू और निदेशक (कार्मिक) एस पी पाण्डेय उपस्थित थे. संघर्ष समिति की ओर से शैलेन्द्र दुबे, राजीव सिंह, गिरीश पाण्डेय, महेन्द्र राय, मो इलियास, करतार प्रसाद, पी एन तिवारी, परशुराम, पी एन राय, आर एस वर्मा मुख्यतया उपस्थित थे.
इससे पहले गुरुवार को ही लखनऊ के हाइडिल फील्ड हॉस्टल में हुई एक बैठक में सभी राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों, बैंक और सरकारी विभाग के कर्मचारी संगठनों ने बिजली कर्मचारियों को खुला समर्थन देने की घोषणा की. संघर्ष समिति ने निर्णय लिया कि 30 मार्च से जनप्रतिनिधियों को निजीकरण के विरोध में ज्ञापन दो अभियान चलाया जाएगा.
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