कानपुर I यूपी के कानपुर की एक महिला मनप्रीत कौर को सीएम योगी ने रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार से सम्मानित किया है. मनप्रीत ने दिव्यांगों को स्वावलंबी बनाने और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करने की ठान ली है. मनप्रित सही अर्थों में पीएम मोदी के दिव्यांगजनों को स्वावलंबी बनाने के सपने को साकार करने में जुटी हैं.

मनप्रीत का नाम पहली बार उस समय चर्चा में आया था, जब उन्होंने दिव्यांग युवाओं को ड्राइविंग लाइसेंस दिलाने की लड़ाई जीती थी. मनप्रीत, दर्शनपुरवा इलाके के एक छोटे से कमरे में मूक बधिर दिव्यांगों को हुनरमंद बनाने के लिए क्लास चलाती हैं. मनप्रीत कौर शारीरिक रूप से अक्षम इन बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करने काम करती हैं.

मूक बधिरों को बनाया आत्मनिर्भर

इस क्लास में मूक बधिरों को लिखना, पढ़ना सिखाया जाता है. साथ ही साथ उन्हें हुनरमंद भी बनाया जाता है, जिससे वह किसी पर बोझ न बनें. सिलाई, कढ़ाई, पेंटिंग और क्राफ्ट के कामों में इन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है. यह बच्चे दीवाली में साज-सज्जा का सामान और मूर्तियां बनाते हैं. रक्षा बंधन में आकर्षक राखियां तो होली के लिए पापड़ भी बनाते हैं.

वहीं मनप्रीत इन बच्चों के द्वारा बनाए उत्पादों की प्रदर्शनी लगा कर बिक्री कराती हैं. जिससे दिव्यांग बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ा है. इन बच्चों में कुछ ने पेंटिंग में ऐसी महारथ हासिल की है कि इनके बनाए चित्र हाथों हाथ बिक जाते हैं. सीएम योगी के हाथों से रानी लक्ष्मी बाई अवार्ड पाने के बाद मनप्रीत का हौसला और बढ़ा है.

दिव्यांग को दिलवाया ड्राइविंग लाइसेंस
बता दें, पहले उत्तर प्रदेश में मोटर व्हीकल एक्ट के तहत दिव्यांग बच्चों को वाहन चलाने की अनुमति नहीं देता था. इस बारे में मनप्रीत ने लंबी लड़ाई लड़ी और सरकार ने कानून में कुछ निश्चित मानकों तक ढिलाई दी. इसके बाद मनप्रीत ने इशारों की भाषा से 18 वर्ष से अधिक आयु वाले बधिर युवाओं को प्रशिक्षण दिया और सूबे में पहली बार कानपुर आरटीओ द्वारा दस बधिरों को ड्राइविंग लाइसेंस मिला. मनप्रीत का कहना है कि अभी वह चालीस दिव्यांग बच्चों को प्रशिक्षित कर रही हैं. जिन्हें रोजगार दिलाने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं.
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