लखनऊ/दिल्ली: कद्दावर गुर्जर नेता सुरेंद्र सिंह नागर एक बार फिर राज्यसभा सांसद निर्वाचित हो गए हैं। सुरेंद्र सिंह नागर ने एक रिकॉर्ड कायम किया है। वह उत्तर प्रदेश में मुनव्वर हसन के बाद ऐसे नेता हैं जो देश के तीन सदन में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। सुरेंद्र सिंह नागर लोकसभा के सांसद और उत्तर प्रदेश विधान परिषद के दो बार सदस्य रहे हैं। हालांकि, हर बार वह नई पार्टी से सदन में निर्वाचित होकर पहुंचे हैं।
सुरेंद्र सिंह नागर का जन्म 10 मई 1965 को बुलंदशहर के गुलावठी कस्बे में हुआ था। सुरेंद्र सिंह के पिता चौधरी वेदराम नागर एक सामाजिक और रसूखदार दूध कारोबारी थे। वेस्ट यूपी के गुर्जरों में मजबूत पैठ रखने वाले सुरेंद्र सिंह नागर का कई जिलों में प्रभाव माना जाता है। उनका दूध, घी, रियल एस्टेट, मेडिकल और एजूकेशन से जुड़ा बड़ा करोबार है। उनका पारस ब्रांड पूरे देश में मशहूर है।
सुरेंद्र सिंह नागर का जन्म 10 मई 1965 को बुलंदशहर जिले के गुलावठी में हुआ है। उनके पिता का नाम चौधरी वेदराम नागर और माता का नाम धरमवती नागर है। वर्ष 1987 में उनकी शादी राखी नागर से हुई थी और उनके दो बेटे और एक बेटी हैं। उन्होंने हापुड़ के एसएसवी पीजी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है। उनके पिता ने पारस ब्रांड की स्थापना की थी, जो अब देश का जाना-माना दुग्ध उत्पादक ब्रांड है। सुरेंद्र सिंह नागर का सहारनपुर, बागपत, गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर के अलावा दिल्ली व हरियाणा के गुर्जर समुदाय पर अच्छा प्रभाव माना जाता है। सुरेंद्र सिंह नागर ने राजनीति की शुरूआत कांग्रेस से की थी। बुलंदशहर की जिला कांग्रेस कमेटी में महामंत्री और उत्तर प्रदेश युवा कांग्रेस में काम किया। वह 1998 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) चुने गए थे।
लेकिन उत्तर प्रदेश में कांग्रेस तेजी से जनाधार खो रही थी। मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी तेजी उभर रही थी। सुरेंद्र सिंह नागर ने यह बात समझी और उन्होंने मुलायम सिंह यादव से नजदीकियां बनाईं। 2004 में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने गठबंधन करके यूपी में सरकार बनाई। कुछ दिन बाद ही विधान परिषद का चुनाव हुआ। स्थानीय निकाय कोटे की सीट रालोद को मिली। मुलायम सिंह और अजित सिंह ने अच्छे संबंधों की बदौलत रालोद ने सुरेंद्र सिंह नागर को टिकट थमाया और वह जीतकर दोबारा विधान परिषद पहुंच गए। 2007 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अजित सिंह ने मुलायम सिंह यादव सरकार से समर्थन वापस ले लिया और चुनाव की घोषणा हो गई। असर दिखा और चुनाव में समाजवादी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। बहुजन समाज पार्टी ने बंपर बहुमत हासिल किया और राज्य में सरकार बना ली।
सुरेंद्र सिंह नागर एक बार फिर वक्त की नजाकत को भांप लिया और मई 2008 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी ज्वाइन कर ली। तभी 2009 में लोकसभा चुनाव आया। नए परिसीमन के तहत गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट सामान्य हो गई। सुरेंद्र सिंह नागर बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर गए। भाजपा उम्मीदवार डा.महेश शर्मा से उनकी कांटे की टक्कर हुई। आखिरकार वह लोकसभा सदस्य चुने गए। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव आते-आते बसपा जनाधार खोने लगी थी और एक बार फिर सुरेंद्र सिंह नागर ने राजनीतिक चतुराई का परिचय दिया और वह बसपा को टिकट छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे। हालांकि, उन्होंने मोदीजी के पक्ष में बन रहे माहौल को देखते हुए चुनाव नहीं लड़ा था।
समाजवादी पार्टी में उन्हें उनके कद और रसूख के हिसाब से अखिलेश यादव ने भरपूर सहयोग दिया। उन्हें न केवल समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया बल्कि जून 2016 में उन्हें राज्यसभा भेजा। इसके साथ ही सुरेंद्र सिंह नागर के नाम रिकॉर्ड बना, वह चार में से तीन सदनों लोकसभा, राज्यसभा और विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने कभी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा है। 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में फूट पड़ गई। अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह आमने-सामने आ गए। इस जंग में सुरेंद्र सिंह नागर खुलकर अखिलेश यादव के साथ खड़े थे। पार्टी के महासचिव होने के कारण उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। लेकिन 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के परिणाम पर इस कलह का असर साफ दिखा। समाजवादी पार्टी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा और यूपी में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बना ली।
2 अगस्त 2019 को सुरेंद्र सिंह नागर ने राज्यसभा और समाजवादी पार्टी से त्याग पत्र दे दिया था। इसके बाद वह 10 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। इस बीच सुरेंद्र सिंह नागर की मुलाकात देश के प्रधानमंत्री से होने की खबरे आई। सुरेंद्र नागर ने भाजपा व मोदी-शाह की राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रभावित होकर भाजपा जॉइन की है। उनके त्याग पत्र से खाली हुई राज्यसभा की सीट पर भाजपा ने उन्हें ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। ठीक एक महीने बाद 12 सितंबर को सुरेंद्र सिंह नागर ने लखनऊ में अपना पर्चा दाखिल किया। उनके साथ भाजपा के तमाम दिग्गज नेता, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा सांसद गौतमबुद्ध नगर लोकसभा, ठाकुर धीरेंद्र सिंह विधायक, तेजपाल नागर विधायक, पंकज सिंह विधायक, विमला सोलंकी आदि अनेकों विधायक नामांकन करवाने गए थे। 16 सितंबर 2019 को सुरेंद्र सिंह नागर दूसरी बार राज्यसभा सदस्य चुन लिए गए हैं। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर बधाई संदेश देने वालों का तांता देखकर आसानी से पता चलता है सुरेंद्र सिंह नागर की अच्छी खासी लोकप्रियता का। निकट भविष्य में भाजपा में बड़ी जिम्मेदारी संभालते हुए नजर आएंगे यह चर्चा है राजनीतिक गलियारों में।
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