नई दिल्ली: सोमवार को ईद उल अजहा का त्योहार पूरे देश में मनाया जाएगा, इस त्योहार पर मुस्लिम समाज की तरफ से जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। ईद उल अजहा से पहले जमीयत उलमा-ए-हिंद ने मुसलमानों को संबोधित करते हुए एक सार्वजनिक अपील जारी की है, इस अपील में कहा गया है कि कुर्बानी के लिये “सफेद जानवरों” का उपयोग न करें।


जमीयत उलमा ए हिन्द ने गाय का नाम लिये बिना केवल “काले जानवरों” (बकरियों और भैंसों) की कुर्बानी करने की अपील की है। जमीयत उलमा ए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मुस्लिम समुदाय से आह्वान करते हुए यहां तक कहा है कि अगर कुछ असमाजिक तत्व उन्हें बकरे की “कुर्बानी” को करने से रोकने की कोशिश करते हैं, तो वे शांत रहें। “ऐसी स्थिति में, अपने समुदाय से अच्छी तरह सूझबूझ वाले गणमान्य लोगों को लोगों को साथ लेकर प्रशासन के पास पहुंचें।


मौलाना अरशद मदनी ने सार्वजनिक अपील में यह भी बताया कि “यह सलाह भारत भर के मुसलमानों के लिए है और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों की स्थिति और मॉबलिंचिंग की घटनाओं को देखते हुए कहा गया है” मौलाना मदनी ने मुसलमानों से कहा कि “अगर कोई आपको किसी जगह कुर्बानी से रोकने की कोशिश करता है, तो आप दूसरी जगह जाकर कुर्बानी कर सकते हैं, जहां कुर्बानी पर किसी को कोई आपत्ती न हो।


उन्होंने कहा कि हालाँकि, अगर कोई ऐसा स्थान है जहाँ कुर्बानी होती है, लेकिन आपको अब वहां कुर्बानी करने से रोका जा रहा है, तो ऐसे मामलों को प्रशासन के संज्ञान में लाया जाना चाहिए और पहले की तरह ही शांतिपूर्वक तरीक़े से लोगों को त्योहार संपन्न करना चाहिये। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि कि इस्लाम के अनुसार, काले जानवरों की कुर्बानी जायज है और इसलिए मुसलमानों को किसी भी सफेद जानवर का उपयोग करने से बचना चाहिए।


गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग समय समय पर देशभर में होती रही है लेकिन सरकार कोई फैसला क्यो नही ले रही है यह समझ में नहीं आता है।


मौलाना अरशद मदनी ने मुसलमानों मुसलमानों को संबोधित करते हुए कहा कि  “आपको शांति, प्रेम और सब्र के साथ सभी स्थितियों का सामना करना चाहिए,”  अंग्रेज़ी अख़बार टाईम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, मौलाना मदनी ने कहा कि पहले की तरह उन्होंने सरकार से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर उपद्रवियों द्वारा की जाने वाली हिंसा और उस हिंसा को रोकने के लिए एक लंबा रास्ता तय किया जाएगा।


गौरतलब है कि जमीयत उलमा ए हिन्द ने 2019 में इसी महीने पांच अगस्त को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित अमन एकता सम्मेलन में मॉब लिंचिंग के खिलाफ कड़े कानून बनाने और उन्हें लागू करने की मांग की थी। देश के किसानों की आय का प्रमुख स्रोत हैं पशुपालन। पशुओं की अच्छे दामों में बिक्री होती है तो किसानों की खुशहाली बढ़ती है। किसान संगठनों से जुड़े व्यक्ति अब कहने लगे हैं कि पशु पालकों व किसानों की तरक़्क़ी खुशहाली के लिए पशुओं की खरीद फरोख्त में आ रही अड़चनों को दूर कर किसान की आय में बढ़ोतरी की जा सकती है।

Share To:

Post A Comment:

0 comments so far,add yours